सॉल्वर गैंग के सामने बिहार सरकार का सरेंडर ?.. वॉकी टॉकी, मक्खी और ब्लूटूथ से नकल की INSIDE STORY

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बिहार में सॉल्वर गैंग फुल स्पीड में एक्टिव है। मुन्ना भाइयों के सामने बिहार पुलिस ने सरेंडर कर दिया है । तभी तो बिहार के 6 लाख परीक्षार्थियों की मेहनत पर पानी फिर गया .. सिपाही में भर्ती के लिए 1 अक्टूबर को जो परीक्षा हुई थी। उसे रद्द कर दिया गया । 7 और 15 अक्टूबर को जो सिपाही भर्ती की परीक्षा होनी थी। उसे भी स्थगित कर दिया गया है । यानि 7 और 15 अक्टूबर को अब सिपाही भर्ती की परीक्षा नहीं होगी ।

हाईटेक तरीके से नकल
दरअसल, सॉल्वर गैंग बिहार पुलिस के एक दो चार कदम नहीं.. हजार कदम एडवांस है । सॉल्वर गैंग के पास से जो सामान बरामद हुए हैं वो एकदम हाईटेक है। गैंग के पास वॉकी टॉकी, ब्लूटूथ, एंटी जैमर डिवाइस और मक्की ( जिसे माइक्रो ईयरपीस कहते हैं । ये सब बरामद हुए हैं.. आपको बताएंगे कि इसका कैसे इस्तेमाल किया जाता है और पुलिस को भनक तक नहीं लगती है ।

क्यों कैसिल करना पड़ा?
दरअसल, 1 अक्टूबर यानि रविवार को बिहार के 37 जिलों के 529 एग्जाम सेंटरों पर सिपाही भर्ती की लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया था। इस दौरान बड़े पैमाने पर पेपरलीक और धांधली की शिकायतें आई.. 125 से ज्यादा मुन्ना भाई को गिरफ्तार किया गया। जिन परीक्षार्थियों के पास से आंसर KEY मिले । वो प्रश्न पत्र से मैच हो गई थी। ऐसे में बिहार पुलिस के सामने कोई और चारा नहीं बचा था। हालांकि सिपाही की परीक्षा को आयोजित करने वाला केंद्रीय चयन पर्षद का कहना था कि पेपर लीक नहीं हुआ है ।

कहां हुआ था पेपर लीक
दरअसल, पटना के रामकृष्ण द्वारिका कॉलेज से 6 अभ्यर्थियों को गिरफ्तार किया गया था । जिसमें 5 के पास आंसर KEY मिला था. जो प्रश्नपत्र से मैच कर गया था । तो वहीं,कैमूर के भूपेश गुप्त इंटर कॉलेज में भी परीक्षार्थियों के पास से आंसर KEY मिला था। जिसमें इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल और सेंटर सुपरीटेंडेटें अजय सिंह की मिलीभगत भी सामने आई है । जिसके बाद कैमूर पुलिस ने आरोपी प्रिंसिपल समेत 11 लोगों को गिरफ्तार किया है ।

मक्खी से होता है पूरा खेल
दरअसल, सॉल्वर गैंग ने नकल करने का ऐसा तरीका खोज निकाला है । जिसके सामने फिल्म वाला मुन्ना भाई भी छोटा पड़ जाए.. सोल्वर गैंग परीक्षार्थी को हवाई चप्पल में भेजता है । चप्पल थोड़ा पुराना होता है ताकि किसी को शक ना हो.. चप्पल को बीच से फाड़ा जाता है औऱ उसके भीतर ब्लूटूथ लगाया जाता है औऱ उस ब्लूटूथ डिवाइस में सिम कार्ड लगा होता है।

कान से होता है कमांड
फिर परीक्षार्थी के कान में मक्खी.. जिसे माइक्रो ईयरफीस कहते हैं.. उसे फीट किया जाता है । ये इतना सूक्ष्म होता है कि बाहर से किसी भी एग्जामर या पुलिस को नहीं दिखेगा. वो मक्खी ब्लूटूथ डिवाइस से जुड़ा होता है । इसके जरिए परीक्षार्थी अपने सॉल्वर से कनेक्ट होता है। वो कैसे अब आपको बताता हूं.. दरअसल, जहां पर सेंटर होता है उसके 500 मीटर के दायरे में सेटर्स रहते हैं.. चाहे वो होटल हो या कोई और कमरा.. वो वॉकी टॉकी के जरिए कनेक्ट होते हैं..

एंटी जैमर डिवाइस
मान लीजिए की एग्जाम के दौरान सेंटर पर जैमर लगा है.. जो किसी भी इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को रोक देता है.. ऐसे में सॉल्वर गैंग के पास एंटी जैमर डिवाइस होते हैं.. जो जैमर सिस्टम को ही बाइपास कर देता है और सिग्नल बॉकी टॉकी से जुड़ जाते हैं..

सॉल्वर बताता है आंसर
फिर इसी वॉकी टॉकी के जरिए सॉल्वर.. जिसे इंजन या स्कॉलर कहते हैं.. वो सवालों का जवाब देता है और वहां बैठा परीक्षार्थी सारे सवालों का जवाब दे देता है ।

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