केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर पर ऐतिहासिक फैसला लिया है. मोदी सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया है . साथ ही जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा भी छिन लिया है . जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया है . इसके अलावा लद्दाख को अलग कर केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया है. यानि जम्मू कश्मीर के पुराने स्वरुप को समाप्त कर दिया है.
जम्मू कश्मीर में सब कुछ बदल गया
मोदी सरकार ने 72 साल पुराने अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया है । इसके साथ ही राज्य पूर्ण गठन बिल के जरिए जम्मू कश्मीर का बंटवारा भी कर दिया है. जिसके तहत जम्मू कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दिया गया. लद्दाख को अलग से केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया. साथ ही जम्मू कश्मीर से पूर्ण राज्य का दर्जा भी छिन लिया और जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया है। यानि सब लोग सोच रहे थे कि मोदी सरकार सिर्फ अनुच्छेद 370 ही खत्म करेगी . लेकिन मोदी सरकार ने पूरा स्वरुप ही बदल डाला है .
जम्मू कश्मीर का अब अपना कुछ नहीं होगा
अब तक जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा था। यानि जम्मू कश्मीर के अपने संविधान थे,अपनी नागरिकता थी और अपने झंडे थे। ये सब एक झटके में खत्म हो गया. अब जम्मू कश्मीर का अलग से अपना कोई संविधान नहीं होगा. न ही जम्मू कश्मीर की अलग नागरिकता होगी और न हीं झंडे होंगे. यानि हर जगह तिरंगा ही तिरंगा होगा
5 साल का होगा विधानसभा
जम्मू कश्मीर में पहले विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का था. देश के बाकी राज्यों में जहां विधानसभा का कार्यकाल 5 साल का होता है. तो वहीं जम्मू कश्मीर में विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का होता था. यानि छह साल बाद चुनाव होते थे. लेकिन अब इसे समाप्त कर दिया गया है . अब वहां भी बाकी राज्यों की तरह हर पांच साल में विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे . यानी जम्मू-कश्मीर अब दिल्ली की तरह विधानसभा वाला और लद्दाख, चंडीगढ़ की तरह विधानसभा विहीन केंद्रशासित प्रदेश होगा.
राज्यपाल नहीं उपराज्यपाल होंगे
जम्मू कश्मीर में पहले राज्यपाल होते थे. लेकिन अब वहां दिल्ली की तरह उपराज्यपाल होंगे। जिनके पास पुलिस और जमीन की शक्ति होगी।मोदी सरकार के फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर को दूसरे राज्यों से मिले ज्यादा अधिकार खत्म ही नहीं बल्कि कम भी हो गए हैं. जम्मू-कश्मीर की हालत अब दिल्ली जैसे राज्य की तरह हो गई है. अब जम्मू-कश्मीर में चुनाव होंगे और सरकारें भी होंगी, लेकिन उपराज्यपाल का दखल काफी बढ़ जाएगा. दिल्ली की तरह जिस प्रकार सरकार को सारी मंजूरी उपराज्यपाल से लेनी होती है, उसी प्रकार अब जम्मू-कश्मीर में भी होगा.
पुलिस की कार्यशैली भी बदलेगी
जम्मू कश्मीर में पहले पुलिस मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करती थी. लेकिन अब पुलिस उपराज्यपाल को रिपोर्ट करेगी. यानि पुलिस पर नियंत्रण केंद्र का होगा. साथ ही जमीन पर भी उपराज्यपाल के जरिए केंद्र का अधिकार होगा जैसा दिल्ली और पुदुचेरी में होता है .
अब भारत के नागरिक को वोटिंग का अधिकार
जम्मू-कश्मीर में वोट का अधिकार सिर्फ वहां के स्थायी नागरिकों को था. किसी दूसरे राज्य के लोग यहां वोट नहीं दे सकते और न चुनाव में उम्मीदवार बन सकते थे. अब सरकार के फैसले के बाद भारत के नागरिक वहां के वोटर और प्रत्याशी बन सकते हैं.
भारतीय दंड संहिता लागू होगी
जम्मू कश्मीर में पहले भारतीय दंड संहिता यानी IPC का प्रयोग नहीं होता था. पहले वहां रणबीर दंड संहिता के तहत दंड का प्रावधान था. लेकिन अब वहां पूरे देश की तरह भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी लागू होगी. दरअसल, भारत के आजाद होने से पहले जम्मू कश्मीर में डोगरा राजवंश का शासन था. महाराजा रणबीर सिंह वहां के शासक थे. इसलिए वहां 1932 में महाराजा के नाम पर रणबीर दंड संहिता लागू की गई थी. यह संहिता थॉमस बैबिंटन मैकॉले की भारतीय दंड संहिता के ही समान थी. लेकिन अब वहां आईपीसी की धारा की तहत ही कार्रवाई होगी
अब हर कोई खरीद सकता है जमीन
अब तक जम्मू कश्मीर में बाहर के लोगों के बसने यानि जमीन खरीदने पर रोक लगी थी. लेकिन अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के खत्म होते ही वहां कोई भी बाहरी व्यक्ति जाकर जमीन खरीद सकता है और बस सकता है । यानि जम्मू कश्मीर भी भारत के बाकी राज्यों जैसा ही हो गया है
मोदी सरकार के इस फैसले के बाद अब भारतीय संविधान पूरी तरह से लागू होगा. जम्मू-कश्मीर का अब अपना अलग से कोई संविधान नहीं होगा. जम्मू-कश्मीर ने 17 नवंबर 1956 को अपना संविधान पारित किया था, वह पूरी तरह से खत्म हो गई है. कश्मीर को अभी तक जो विशेषाधिकार मिले थे, उसके तहत इमरजेंसी नहीं लगाई जा सकती है. लेकिन अब सरकार के फैसले के बाद वहां इमरजेंसी लगाई जा सकती है.
जम्मू-कश्मीर में अब ये बदल गया
-अब देश का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में संपत्ति खरीद पाएगा।
-जम्मू-कश्मीर में अब अलग झंडा नहीं रहेगा।
-जम्मू-कश्मीर में अब दोहरी नागरिकता नहीं होगी।
-जम्मू-कश्मीर अब अलग राज्य नहीं बल्कि केंद्रशासित प्रदेश होगा।
-कश्मीर विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश होगा।
-विधानसभा का कार्यकाल 6 साल की जगह 5 साल होगा।
-जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त
-लद्दाख को अलग केंद्रशासित प्रदेश घोषित किया गया।
-आरटीआई और सीएजी जैसे कानून भी यहां लागू होंगे।
-जम्मू-कश्मीर में देश का कोई भी नागरिक अब नौकरी पा सकता है।
-अनुच्छेद 370 के हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष अधिकार पूरी तरह से खत्म