2024 लोकसभा चुनाव से पहले महागठबंधन और एनडीए अपना अपना कुनबा को दुरुस्त करने में जुटा है. लेकिन इस बाड़ेबंदी का खामियाजा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को उठाना पड़ा। जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन को मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा।
सूत्रों का कहना है कि जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन ने मंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया. बल्कि उनसे जबरन इस्तीफा लिया गया है। इसके पीछे की पॉलिटिक्स आपको बताएंगे. लेकिन उससे पहले आपको ताजा घटनाक्रम समझा दें।
नीतीश कुमार ने 23 जून को पटना में विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है । जिसमें देश भर की 18 विपक्षी पार्टियों के नेता इसमें शामिल होंगे। बैठक से 10 दिन पहले हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा यानि HAM के मंत्री ने इस्तीफा दे दिया। डॉ. संतोष सुमन ने इस्तीफा राज्यपाल की जगह नीतीश कुमार को भेजा और सरकार ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। सुमन अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण मंत्री थे। बिहार में पार्टी के 4 विधायक हैं।
संतोष सुमन के इस्तीफे के बाद बिहार में नीतीश कैबिनेट का एक बार फिर विस्तार होगा.. जिसमें दो विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलायी जाएगी। जिन दो विधायकों को मंत्री बनाया जाएगा। उसमें एक विधायक कांग्रेस कोटे से होगा तो दूसरा जेडीयू कोटे से मंत्री बनेगा।
नालंदा लाइव को सरकार के विश्वस्त सूत्रों से खबर मिली है कि जेडीयू कोटे से विधायक रत्नेश सदा को मंत्री बनाया जाएगा। माना जा रहा है कि संतोष सुमन के इस्तीफे की वजह से जो पद खाली हुआ है । उस पद पर रत्नेश सदा को मंत्री बनाया जाएगा। यानि रत्नेश सदा अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण मंत्री की जिम्मेदारी संभालेंगे।
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रत्नेश सदा की गिनती जेडीयू के जमीन से जुड़े विधायक के तौर पर होती है । वे 11 साल से सोनबरसा के विधायक हैं. JDU विधायक रत्नेश सादा का पैत्रिक गांव महिषी प्रखंड का कुंदह गांव है. वो पिछले 11 साल से सोनबरसा राज (सुरक्षित) विधानसभा से जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ते और जीतते आ रहे है. रत्नेश सदा ने 2010 के विधानसभा चुनावों में सीट जीती थी. वह तब से सोनबरसा से जीतते आ रहे हैं और मौजूदा विधायक हैं. अब वह मंत्री बनने जा रहे हैं.
बताया जा रहा है कि रत्नेश सदा कुछ देर पहले मुख्यमंत्री आवास पर पहुंचे और सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की। रत्नेश सदा भी उसी मुसहर जाति से आते हैं जिस जाति से जीतन राम मांझी आते हैं।