चिराग से चाचा पारस ने लिया बदला.. अपमान की आग में जल रहे थे पशुपति पारस !

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पशुपति कुमार पारस ने अपने अपमान का बदला चुकता कर लिया है। साथ ही भतीजा चिराग पासवान को बता दिया कि चाचा चाचा होता है और भतीजा भतीजा ही रहता है । दरअसल, चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति पारस को अपमानित किया था। बताया जाता है कि झगड़े की असली वजह वही था। जिसे नाते रिश्तेदारों ने हवा दी और फिर जो हुआ वो सब हम आपके सामने है।

चिराग ने किया था अपमानित
दरअसल, रामविलास पासवान के निधन के बाद चिराग पासवान के चाचा और हाजीपुर से सांसद पशुपति पारस ने नीतीश कुमार की जमकर तारीफ की थी। अपने चाचा के मुंह से नीतीश कुमार की ये तारीफ चिराग को रास नहीं आई। चिराग ने उस समय पशुपति पारस को खूब खरी-खोटी सुनाई थी। यहां तक कि उनको पार्टी से निकालने तक की धमकी दे दी थी। पशुपति पारस काफी आहत हुए थे। वो इतने दुखी थे कि उनका कहना था कि कभी राम विलास पासवान ने भी इस लहजे में बात नहीं की थी। पशुपति पारस ने बस इतना ही कहा कि तब समझो कि तुम्हारा चाचा भी मर गया।

रिश्तेदारी के चक्रव्यूह में फंस गए चिराग
रामविलास पासवान के दोनों भाई पशुपति पारस और रामचंद्र पासवान आपस में साढू हैं, दोनों की शादी सगी बहनों से हुई थी। इसलिए रिश्ते में समस्तीपुर सांसद प्रिंस के मौसा हैं पशुपति पारस। इस ऑपरेशन में पारस और प्रिंस की रिश्तेदारी ने मजबूत कड़ी निभाई। वहीं पंजाबी मां का बेटा होने के कारण रिश्तेदारी में चिराग अलग-थलग रह गए। बता दें कि रामविलास पासवान ने दो शादियां की थीं। उनकी पहली शादी 1960 में राजकुमारी देवी से तो दूसरी रीना से 1983 में हुई थी। पंजाबी फैमिली से तालुक रखने वाली रीना शर्मा पेशे से एयर होस्टेस थीं और एक सफर के दौरान ही रामविलास और उनकी पहली मुलाकात हुई थी, बाद में राजकुमारी देवी से तलाक लेकर रीना शर्मा से शादी की थी। रामविलास पासवान का गांव से बहुत संबंध नहीं रह गया था। हालांकि पहली पत्नी से उनकी दो बेटियां आशा और उषा है। वहीं रीना शर्मा से उन्हें एक बेटी और एक बेटा चिराग है।

रिश्तेदारी में उलझी डोर
JDU की तरफ से इस ऑपरेशन में लगे विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी पशुपति पारस के अपने रिश्तेदार हैं। पारस और हजारी आपस में ममेरे भाई हैं। महेश्वर हजारी और ललन सिंह लगातार दिल्ली में कैंप कर रहे थे। ललन सिंह और हजारी ने मिलकर पशुपति पारस को अपने पक्ष में किया। ललन सिंह ने सूरजभान सिंह को भी अपने पक्ष में इसलिए किया, क्योंकि दोनों भूमिहार जाति से आते हैं। अभी जिस मुंगेर से ललन सिंह सांसद हैं, वहां से सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा सिंह सांसद थीं, लेकिन ललन सिंह के नाम पर उन्होंने अपनी सीट छोड़ दी थी। फिर, सूरजभान के भाई चंदन सिंह ने नवादा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इस बीच जब सांसद चंदन सिंह की तबियत खराब हुई थी तो CM नीतीश कुमार ने अपनी देखरेख में उनका इलाज कराया। ऐसे में चंदन का बगावती होना लाजिमी था।

कैसर के पास भी अहम जिम्मेदारी
LJP के एकमात्र मुस्लिम सांसद चौधरी महबूब अली कैसर को मनाने की जिम्मेदारी महेश्वर हजारी ने उठाई थी। कैसर राजनीति के मंझे खिलाड़ी हैं। जब उन्होंने अपने बेटे को RJD से विधायक बनवाया, तब से लग रहा था कि वो नीतीश के साथ जाने का मौका नहीं गंवाना चाहेंगे। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान जब उनकी उम्मीदवारी पर पेंच फंसा था, तब CM नीतीश कुमार ने रामविलास पासवान को कह कर उनको टिकट दिलवाया था। कैसर इस अहसान से भी दबे थे। इसके अलावा वैशाली की सांसद वीणा सिंह और उनके पति दिनेश प्रसाद सिंह जो JDU से निलम्बित MLC हैं, वो नीतीश कुमार से अपने सम्बंध फिर से सुधारने को लेकर आतुर थे और उन्होंने ऑपरेशन को सफल बनाने में अहम भुमिका निभाई।

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