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सिपाही वेतन घोटाले में एसपी और डीएसपी बुरी तरह फंस गए हैं। जांच समिति ने दोनों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है ।
क्या है पूरा मामला
मामला शेखपुरा जिला के चर्चित सिपाही वेतन घोटाले की है। जिसमें जिले के तत्कालीन एसपी दयाशंकर, एसडीपीओ अमित शरण समेत कई लोग फंस गए हैं। डीआईजी ने अपनी जांच रिपोर्ट में इन पर कार्रवाई करने की मांग है। आपको बता दें दयाशंकर अभी पूर्णिया के एसपी हैं तो वहीं अमित शरण पटना सिटी के डीएसपी हैं।
घोटाले में और कौन-कौन
शेखपुरा में सिपाही वेतन घोटाला की जांच मुंगेर के डीआईजी मोहम्मद शफीउल हक कर रहे हैं। उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट बिहार राज्य पुलिस मुख्यायल को सौंप दी है। डीआईजी ने अपनी जांच रिपोर्ट में पाया है कि एसपी और डीएसपी ने काफी गड़बड़ी की है। जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि एसपी-डीएसपी के साथ तत्कालीन लेखापाल,खाता में इंट्री करने वाले बैंककर्मी और ऑडिट कीटीम भी शामिल है।
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एसपी-डीएसपी पर क्या हैं आरोप
डीआईजी ने अपनी जांच रिपोर्ट में पाया है कि एसपी दयाशंकर और डीएसपी अमित शरण ने गलत तथ्यों के आधार पर जांच कर घोटालेबाज सिपाहियों को क्लीनचिट दी है। साथ ही विभागीय कार्रवाई में निर्दोष साबित कर बचाने का भी आरोप है।
घोटाले का मास्टरमाइंड कौन
दैनिक अखबार हिंदुस्तान के मुताबिक, सिपाही वेतन घोटाले का मास्टरमाइंड भी एक सिपाही है। जिसका नाम मंटू कुमार है। आरोप है कि मंटू कुमार ने अपने छह सहयोगियों के साथ मिलकर तीन साल की अवधि जनवरी 2015 से लेकर अक्टूबर 2018 में करीब 58 लाख रुपए का गोलमाल किया गया था।
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कैसे हुआ था घोटाला
दरअसल, सिपाहियों का मूल वेतन को खाते में दिया गया था। लेकिन, बढ़ी हुई वेतन की राशि गबन कर ली गई थी। बढ़ी हुई राशि मंटू कुमार ने छह अन्य सहयोगियों सिपाही सहदेव चौधरी के खाते में 1 लाख 24 हजार, सिपाही संजीत सिंह के खाते में दो लाख,महिला सिपाही सुमित्रा देवी के खाते में 2 लाख 36 हजार,सिपाही देवधारी सिंह के खाते में 3लाख 55 हजार , सिपाही जितेंद्र सिन्हा के खाते में 18 लाख 34 हजार और हवलदार शकील अख्तर के खाते में 22 लाख 97 हजार रुपए डालकर सरकार को चपत लगाई।