बिहारशरीफ में 10 करोड़ की लागत से बनेंगे दो शवदाह गृह.. जानिए कहां कहां

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बिहारशरीफ को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है ताकि यहां के लोगों को वे सारी सुविधाएं मिले जो एक महानगर में मिलती है। बिहारशरीफ में अभी कोई शवदाह गृह नहीं है। जिसकी वजह से यहां के लोगों को शव जलाने के लिए बाढ़, बख्तियारपुर या फतुहां ले जाना पड़ता है। लेकिन जल्द ही अब बिहारशरीफ में दो शवदाह गृह बनाए जाएंगे।

10 करोड़ रुपए होंगे खर्च
बिहारशरीफ शहर में दो शवदाहगृह बनाये जाएंगे। एक माह के भीतर इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। दोनों शवदाहगृह बनाने के लिए नौ करोड़ 44 लाख 94 हजार 900 रुपए की स्वीकृति भी दे दी है।

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जमीन की थी तलाश
बिहारशरीफ नगर निगम क्षेत्र में शवदाहगृह बनाने के लिए बहुत दिनों से जमीन की तलाश की जा रही थी। कई बार जमीन मिली भी, लेकिन उसमें कुछ अड़चन होने के कारण उसे छोड़ दिया गया। संबंधित अधिकारियों द्वारा लगातार प्रयासरत रहने के कारण अब जमीन मिल गई है और विभाग ने इसकी स्वीकृति भी दे दी है। उम्मीद है कि साल 2023 तक काम पूरा हो जाएगा।

बुडको करेगा निर्माण
बिहारशरीफ में दोनों शवदाह गृह यानि श्मशान घाट का निर्माण बुडको (BUDCO)द्वारा किया जाएगा। खास बात ये है कि यहां बनने वाले दोनों शवदाहगृहों में लकड़ी और इलेक्ट्रिक दोनों विधि से शवों को जलाने की व्यवस्था होगी।

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कहां-कहां बनेंगे शवदाह गृह
बिहारशरीफ के नगर आयुक्त तरणजोत सिंह के मुताबिक बिहारशरीफ शहर के बाबा मणिराम अखाड़ा और कोहनासराय मोहल्लों के पास शवदाहगृह बनाये जाएंगे। इनकी जमीन पर अनापत्ति प्रमाणपत्र के लिए डीएम शशांक शुभंकर के पास पत्र भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि डीएम का आदेश मिलते ही टेंडर और अन्य कामों की प्रक्रियाएं शुरू कर दी जाएंगी।

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गंगाजल की भी व्यवस्था
आपको बता दें कि बिहारशरीफ में 17 नंबर मोड़ के पास इकलौता शवदागृह है, जो सालों पहले बना। लेकिन, उसका उपयोग आजतक नहीं हुआ। अधिकतर लोगों को शव जलाने के लिए बाढ़ अथवा बख्तियारपुर जाना पड़ता है। क्योंकि मान्यता है कि मोक्ष के लिए गंगातट या गंगाजल में विसर्जन जरूरी है । ऐसे में बिहारशरीफ में बनने वाले दोनों शवदाह गृह में गंगाजल की व्यवस्था भी की जाएगी । जैसे बाकी के महानगरों में होता है जो गंगा किनारे नहीं है। क्योंकि गंगदह योजना के तहत राजगीर में गंगाजल पहुंचाया जा रहा है। उससे ही गंगाजल यहां भी उपलब्ध कराया जा सकता है। माना जा रहा है कि उसके बाद लोग शवदाह करने के लिए बाढ़ या बख्तियारपुर नहीं जाएंगे.

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जिले में रोजाना 50 की मौत:
आपको बता दें कि नालंदा जिला में औसतन हर दिन किसी न किसी वजह से करीब 50 लोगों की मौत होती है । जिसमें बूढ़े और बीमार भी शामिल हैं।

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