कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस बार अपनी परंपरागत सीट अमेठी के अलावा केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी ने वायनाड सीट पर राहुल गांधी के खिलाफ तुषार वेल्लापल्ली को उतारा है । भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एलान किया कि तुषार वेल्लापल्ली को एनडीए की ओर से संयुक्त उम्मीदवार होंगे.
I proudly announce Shri Thushar Vellappally, President of Bharat Dharma Jana Sena as NDA candidate from Wayanad.
A vibrant and dynamic youth leader, he represents our commitment towards development and social justice. With him, NDA will emerge as Kerala's political alternative.
— Chowkidar Amit Shah (@AmitShah) April 1, 2019
5 सीटों पर लड़ेगी वेल्लापल्ली की बीडीजेएस
अमित शाह ने ट्वीट कर कहा है कि वायनाड से भारत धर्म जनसेना (बीडीजेएस) के अध्यक्ष वेल्लापल्ली एनडीए के उम्मीदवार होंगे। केरल की 20 लोकसभा सीटों में एनडीए गठबंधन के तहत बीडीजेएस को 5 सीटें मिली हैं। इनके अलावा केरल कांग्रेस एक सीट पर चुनाव लड़ेगी। भाजपा यहां 14 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। बीडीजेएस पहली बार लोकसभा चुनाव में उतर रही है।
कौन हैं तुषार वेल्लापल्ली
तुषार वेल्लापल्ली भारत धर्म जनसेना ( BDJS)के अध्यक्ष हैं। BDJS केरल के मशहूर धार्मिक संगठन श्रीनारायण धर्म परिपालन योगम (SNDP)का ही एक राजनीतिक संगठन है. इस समूह के अतंर्गत इझावा समुदाय का प्रतिनिधित्व होता है. केरल में इस समुदाय की 20 फीसदी जनसंख्या है, भाजपी की नजर इन्हीं वोट बैंक पर है। तुषार वेल्लापल्ली के पिता वेल्लापल्ली नेदाशन SNDP के जनरल सेक्रेटरी हैं
वायनाड कांग्रेस का गढ़ रहा है, ऐसे में राहुल गांधी के लिए यहां से जीत करना बड़ी चुनौती नहीं होगा. कांग्रेस की कोशिश है कि राहुल गांधी के दक्षिण से चुनाव लड़ा वो तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक की सीटों को साध सके. वायनाड सीट 2008 में हुए परिसीमन के बाद ही अस्तित्व में आई. यहां 2009 में कांग्रेस के एमआई शनावास ने जीत हासिल की थी. उन्होंने सीपीआई के उम्मीदवार को सीधी मात दी थी. 2014 में भी उन्होंने इस सीट से जीत हासिल की थी.
शाह ने कहा था- अमेठी छोड़कर भागे राहुल
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ने पर तंज कसा था। शाह ने कहा, “मैंने वॉट्सऐप पर पढ़ा कि राहुल अमेठी को छोड़कर केरल भाग गए हैं। आखिर उन्हें केरल क्यों जाना पड़ा? हम सभी जानते हैं कि राहुल का अमेठी से ही लड़ना तय था, लेकिन अब वे वहां जाकर ध्रुवीकरण की राजनीति से जीत हासिल करना चाहते हैं।”