बिहार में जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है वैसे वैसे सियासी पारा भी चढ़ता जा रहा है। अब कर्नाटक के बहाने बिहार में सियासी घमासान मचा है। लालू प्रसाद यादव के बेटे और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने भी सरकार बनाने का दावा पेश किया। दावा पेश करने के बाद तेजस्वी यादव ने कहा कि आरजेडी बिहार में सबसे बड़ी पार्टी है लिहाजा उन्हें सरकार बनाने का मौका मिलना चाहिए। इस पर जब उनसे पूछा गया कि आप बहुमत कैसे सिद्ध करेंगे तो उन्होंने कहा कि हमें कांग्रेस, हम, माले के विधायक का समर्थन तो है । जेडीयू के भी कई विधायक उनके संपर्क में है। तेजस्वी ने ये भी कहा कि नीतीश कुमार की कार्यप्रणाली से नाराज होकर शरद यादव, उदय नारायण चौधरी जैसे कई नेता पहले ही जेडीयू छोड़ चुके हैं ऐसे में उन्होंने आसानी से बहुमत सिद्ध करने का दावा किया । बीजेपी पर हमला बोलते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि जिसे जनता ने नकार दिया, वे चोर दरवाजे से अंदर आये।उधर, तेजस्वी यादव के सरकार बनाने के दावा पेश करने पर बीजेपी ने पलटवार किया।
किसने क्या कहा
नीरज कुमार, जेडीयू- तेजस्वी जी, लोकतंत्र में ‘बबुआगिरी’ काम नहीं आता। लोकतंत्र, संविधान और मर्यादाओं से चलती है। वैसे इसमें आपका दोष भी नहीं। आपको अनुभव और मेहनत के बिना न केवल पद बल्कि संपत्ति भी हासिल हो गई है। राजनीतिक और पारिवारिक अनुकंपा पर अगर सबकुछ हासिल हो जाए, तो ऐसे में ज्ञान की कमी होना लाजिमी है।
मंगल पांडेय, बीजेपी- तेजस्वी राजनीतिक रूप से बेरोजगार हो चुके हैं। खाली दिमाग शैतान का घर होता है। उनका दिमाग खाली है तो शैतानी चल रही है। उनको अच्छी तरह मालूम है कि उनके पास और साथ कितने विधायक हैं।
बृजेश सिन्हा- तेजस्वी पहले अपने ऊपर लगे आरोप की चिंता करें। अपने पिता और सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव की चिंता करें। आरजेडी विधायक पहले ही टूट चुके हैं। उनमें एकता नहीं बची है। वे सिर्फ दिखावे के लिए एक साथ हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कर्नाटक के बहाने तेजस्वी यादव भी बिहार में सियासी जमीन तलाश रहे हैं। इससे अच्छा होता कि तेजस्वी यादव बेरोजगारी, महंगाई और दूसरी समस्याओ को लेकर सरकार को घेरते और राज्यपाल से मिलते। अगर तेजस्वी यादव को लगता है कि उनके पास विधायकों की पर्याप्त संख्या है तो वो विधानसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएं। इतना ही नहीं बीजेपी के कई नेता तो ये भी कह रहे हैं कि तेजस्वी इतने ही काबिल और चालाक थे तो जब महागठबंधन की सरकार गिरी थी उस वक्त उन्होंने सरकार बनाने का दावा पेश क्यों नहीं किया था ।
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