बदल गए मेयर,डिप्टी मेयर, मुख्य पार्षद चुनाव के लिए नियम.. जानिए क्या हुए संशोधन

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बिहार में मेयर, डिप्टी मेयर, मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद के चुनाव के लिए नियमों में बदलाव कर दिया गया है। 15सालों बाद बिहार में नगर पालिका कानून (Bihar Municipal Corporation Act)में संशोधन कर दिया गया है. इन चुनाव में पहले पैसों का खेल चलता था। क्योंकि इन्हें जनता नहीं बल्कि वार्ड पार्षद चुनते थे। लेकिन बिहार सरकार ने अब नियम बदल दिए हैं । ऐसे में अब वार्ड पार्षदों की मनमानी खत्म हो गई है। वे मेयर,डिप्टी मेयर को न चुन सकते हैं ना ही हटा सकते हैं।

क्या क्या हुए संशोधन
बिहार में नगर निगम में मेयर और डिप्टी मेयर जबकि नगर परिषद में और नगर पंचायतों में मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद का चुनाव अब सीधे जनता करेगी। ठीक वैसे ही जैसे मुखिया,विधायक या सांसद का चुनाव होता है। यानि अब पहले की तरह अप्रत्यक्ष रुप से नहीं होगा। मतलब पहले मेयर, डिप्टी मेयर का चुनाव वार्ड पार्षद करते थे लेकिन नए नियम के मुताबिक इन पदों पर अब आम चुनाव होगा।

शपथग्रहण के बाद कार्यभार
जनता के द्वारा चुने जाने पर मेयर और डिप्टी मेयर को गोपनीयता की शपथ दिलाई जाएगी। शपथ लेने के साथ ही वे अपना कार्यभार ग्रहण करेंगे.

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सीट रिक्त होने पर क्या है व्यवस्था
अगर किसी मेयर डिप्टी मेयर या मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद की उसके कार्यकाल के दौरान मौत हो जाती है या वो इस्तीफा देते हैं या उन्हें बर्खास्त किए जाने से पद रिक्त हो जाता है तब ऐसी स्थिति में चुनाव कराया जाएगा. इसके बाद निर्वाचित मेयर, डिप्टी मेयर बचे हुए कार्यकाल की अवधि के लिए पदभार ग्रहण करेंगे. मतलब मेयर या डिप्टी मेयर बनने के दो साल बाद पद रिक्त होता है तो अगले तीन साल के लिए उपचुनाव होंगे। अगर चार साल बाद रिक्त होता है तो एक साल के लिए उपचुनाव होंगे।

त्यागपत्र की प्रक्रिया क्या होगी
नए संशोधन के मुताबिक मेयर, डिप्टी मेयर राज्य सरकार को संबोधित करते हुए अपने हाथों से लिखे आवेदन देकर त्यागपत्र दे सकेंगे. ऐसा त्यागपत्र वापस न लिए जाने पर 7 दिनों के बाद इसे प्रभावी माना जाएगा.

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कैसे हटाया जा सकता
नए नियम के मुताबिक सरकार को धारा 44 के अधीन लोक प्रहरी को नियुक्त करना होगा. लोक प्रहरी की अनुशंसा के आधार पर ही सरकार मेयर, डिप्टी मेयर, मुख्य पार्षद अथवा उप मुख्य पार्षद को उसके पद से हटा पाएगी.

बर्खास्तगी के बाद चुनाव लड़ने पर रोक
अगर किसी भी नगर निकाय में मेयर-डिप्टी मेयर या मुख्य पार्षद-उप मुख्य पार्षद को पद से हटा दिया गया तो वे बाकी बचे कार्यकाल के दौरान फिर से निर्वाचन के योग्य नहीं होंगे।

कितने नगर निगम और नगर निकाय
नगर पालिका कानून में संशोधन का असर बिहार के 19 नगर निगमों के साथ 263 नगर निकायों पर पड़ेगा.

कब होने हैं चुनाव
इस साल अप्रैल और मई में शहरी निकायों का चुनाव (Bihar Local Body Elections) संभावित है.

ऐसे नियम कहां कहां हैं
आपको बता दें कि इस तरह के प्रावधान उत्तर प्रदेश ,उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड में भी लागू है. इन राज्यों में भी मेयर, डिप्टी मेयर, मुख्य पार्षद, उप मुख्य पार्षद का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से होता है. साथ ही दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में भी जनता सीधे महापौर और उपमहापौर चुनती है.

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