बिहार में खत्म होगा BDO और DDC का रुतबा.. जानिए क्यों हुई पावर में कटौती

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बिहार सरकार ने प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) और उपविकास आयुक्त (DDC)के पंख कतर दिए हैं। यानि बीडीओ और डीडीसी की शक्तियों में कटौती की गई है। यानि बीडीओ साहब और डीडीसी का वो रुतबा नहीं रहेगा जो अब तक था।

BDO की शक्ति में कटौती
बिहार सरकार ने पंचायती राज अधिनियम 2006 में संशोधन का फैसला किया है । जिसपर नीतीश कैबिनेट ने मुहर लगा दी है। जिसके मुताबिक प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) से पंचायत समिति के कार्यपालक पदाधिकारी की जिम्मेदारी वापस ले ली जाएगी। इसके लिए बीडीओ की जगह ब्लॉक स्तर पर पंचायती राज पदाधिकारी को कार्यपालक पदाधिकारी बनाया जाएगा।

DDC के पावर में भी कटौती
नीतीश सरकार ने उप विकास आयुक्त (DDC) की शक्ति में कटौती की गई है। डीडीसी से जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी का कार्यभार छीन लिया गया है । बिहार सरकार डीडीसी की जगह जिला परिषद में बिहार प्रशासनिक सेवा के नये पदाधिकारी नियुक्त करेगी। जिला परिषद में मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी डिप्टी सेक्रेटरी स्तर के अधिकारी होंगे। जो सिर्फ जिला परिषद का काम देखेंगे।

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शक्ति में क्यों की गई कटौती
दरअसल, सरकार को लगातार ये शिकायतें मिल रही थी कि उप विकास आयुक्त के जिम्मे कई और काम होते हैं, जिसकी वजह से वो जिला परिषद के काम पर पूरा ध्यान नहीं दे पाते हैं। ऐसे ही हालात प्रखंड स्तर पर बीडीओ के साथ देखा जा रहा है। जिसकी वजह से जिला परिषद और पंचायत का काम प्रभावित हो रहा है। विभाग ने लगातार समीक्षा के दौरान भी यह महसूस किया था। वहीं जिला परिषद अध्यक्षों और सदस्यों की भी यह मांग रही है। जिसके बाद राज्य सरकार ने डीडीसी और बीडीओ की शक्ति में कटौती का फैसला लिया है ।

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डीडीसी और बीडीओ का रुतबा घटेगा
आपको बता दें कि मालूम हो कि मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ही जिला परिषद के सभी कर्मियों के नियंत्री पदाधिकारी होते हैं। जिला परिषद द्वारा जो भी प्रस्ताव पारित किये जाते हैं, उन सभी कार्यों का कराना और पूरा करने की जवाबदेही उनकी होती है। वहीं प्रखंड स्तरीय समिति के सभी कर्मियों पर पंचायत समिति के कार्यपालक पदाधिकारी का नियंत्रण होता है। बीडीओ और डीडीसी की शक्ति में कटौती के बाद उनका रुतबा घटेगा।नीतीश सरकार विधानमंडल के मॉनसून सत्र में पंचायती राज अधिनियम, 2006 में संशोधन विधेयक पेश करेगी। विधानमंडल से संशोधन विधेयक पारित होने के बाद राज्यपाल से इस पर सहमति ली जाएगी। राज्यपाल की सहमति के बाद यह राज्य में लागू हो जाएगा। इसके बाद डीडीसी की जगह नये पदाधिकारियों को पदस्थापित किया जाएगा। वहीं, आदेश जारी कर बीडीओ को पंचायत समिति के कार्य से मुक्त कर दिया जाएगा। उनकी जगह प्रखंड के पंचायत राज पदाधिकारी यह काम देखेंगे।

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