बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जीवन दायिनी और पापनाशिनी मां गंगा को अपने भागीरथी प्रयास से नालंदा और नवादा होते हुए बोधगया पहुंचा दिया ।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि जल संरक्षण में गंगा उद्वह योजना देश में अनुपम उदाहरण पेश करेगी। मुख्यमंत्री ने नालंदा, नवादा, गया और बोधगया में इस योजना के अंतर्गत होने वाली गंगाजल आपूर्ति की प्रगति का जायजा लिया। इसी क्रम में नवादा के मोतनाजे और नालंदा के घोड़ाकटोरा में गंगा की कलकल धारा बहते देख मुख्यमंत्री ने प्रसन्नता में ताली बजाई और हाथ जोड़कर मां गंगा को नमन किया।
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सीएम नीतीश ने घोड़ाकटोरा में गंगाजल का संग्रहण तो मोतनाजे में उसका ट्रीटमेंट व घरों तक आपूर्ति के लिए बनायी गयीं संरचनाओं का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने नवादा में पत्रकारों से कहा कि इसी साल राजगीर, नवादा, गया और बोधगया के घरों में शुद्ध गंगाजल की आपूर्ति होगी। गंगाजल को शुद्ध कर पाइप के माध्यम से लोगों के घरों में सालोंभर पेयजल के रूप में आपूर्ति की जाएगी। इसके लिए बरसात के चार महीने तक गंगा नदी से वाटर अपलिफ्ट कर वर्ष के शेष आठ महीने जलापूर्ति के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी को स्टोर किया जाएगा। नालंदा विश्वविद्यालय के लिए 70 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई है, उसमें से दस एकड़ भूमि गंगाजल आपूर्ति योजना के लिए इस्तेमाल की जाएगी।
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राजगीर रिजरवायर के निरीक्षण के क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुरक्षा के लिहाज से इसके चारों तरफ तार का घेरा कराने का निर्देश दिया। कहा कि रिजरवायर में संग्रहित जल को सुरक्षित रखने के लिए पहाड़ की तरफ से बांध रूपी चहारदीवारी अवश्य करायें, ताकि जलस्तर मेनटेन रहे। उन्होंने कहा कि कुछ लोग गड़बड़ मानसिकता के होते हैं इसलिए इस खास क्षेत्र में लोगों के आवागमन पर पूर्णत: पाबंदी रखी जाए। संग्रहित जल की सतत निगरानी के लिए यहां पुलिस चौकी का प्रबंध करें। इसके अलावा स्थायी रूप से लोगों को भी तैनात करें, ताकि कोई गड़बड़ नहीं करे।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी इच्छा शुरू से थी कि गंगाजल गया, बोधगया, नवादा और राजगीर पहुंचे। वर्ष 2019 में हमने जल-जीवन-हरियाली योजना की शुरुआत की थी। उसी समय हमने तय किया था कि गंगाजल यहां इन शहरों तक पहुंचाएंगे। शुरू में ही बता दिया था कि गंगाजल को मोकामा से लाने में सुविधा होगी। हालांकि विभाग के लोगों ने भी अपने स्तर से कई जगहों पर इसका मुआयना किया। बाद में उनलोगों ने भी इसके लिए मोकामा का ही चयन किया।
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पहले चरण का बजट 2,836 करोड़ रुपये था। लेकिन, विलंब होने से लागत बढ़कर 4,174 करोड़ रुपये हो गयी। इससे गया को 43 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) और राजगीर को सात एमसीएम पानी मुहैया कराया जाएगा। इन क्षेत्रों में लंबे समय से पेयजल की समस्या रही है। परियोजना से राजगीर, नवादा, बोधगया और गया की करीब 11 लाख की आबादी का लाभ होगा।