
नीरा पीने को लेकर समाज में कई तरह की भ्रांतियां हैं। कोई इसे नशीला बताता है तो इसे ताड़ी ही कहता है । नीरा का सेवन दक्षिण भारत में ही नहीं श्रीलंका,इंडोनिशिया, थाईलैंड,कंबोडिया में बड़े पैमाने पर किया जाता है । आखिर ये नीरा है क्या और नीरा और ताड़ी में क्या अंतर है ? नीरा पीना क्यों स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है?
ताड़ और खजूर के पेड़ से निकलने वाले ताजे रस को नीरा कहा जाता है । जब यही रस काफी देर तक बाहर रह जाता है तो इसमें फर्मेटेशन( खमनीकरण) हो जाता है तो ये ताड़ी बन जाता है। नीरा पीने से ताजगी महसूस होती है। जबकि ताड़ी पीने से हल्का नशा होता है ।नीरा पीने में मीठा होता है जबकि ताड़ी खट्टा और कड़वा लगता है
नीरा में पाए जाने वाला पौष्टिक तत्व
नीरा में 84.72 फीसदी जल रहता है जबकि कार्बोहाइड्रेट 14.35 फीसदी,प्रोटीन-0.10 फीसदी,वसा-0.17फीसदी,मिनरल-0.66 फीसदी होता। मिनरल्स में कैल्शियम,आयरन,पोटैशियम,सोडियम और फॉस्फोरस की भरपूर मात्रा होती है। साथ ही विटामिन सी और विटामिन बी कॉम्पलेक्स भी भरपूर मात्रा में मौजूद होता है
यानि 100 ml नीरा से 110 कैलोरी एनर्जी मिलती है । नीरा न तो अम्लीय है और न ही क्षारीय है ये पानी से कुछ ही भारी है।
नीरा पीने फायदे- नीरा का सेवन करने से कब्ज और पेट के रोग दूर होते हैं। नीरा के सेवन में खून में हीमोग्लोबिन की बढ़ोत्तरी भी होती है। इसलिए खून की कमी वाले रोगियों के लिए ये लाभकारी होता है । साथ ही जॉंडिस( पीलिया) और मूत्र संबंधी रोग में ये फायदेमंद होता है । नीरा डायबिटीज के रोगियों के लिए भी लाभकारी है
हानिकारक- नीरा का सेवन तुरंत करना चाहिए। क्योंकि ज्यादा देर तक बाहर रहने पर ये ताड़ी का रूप लेने लग जाता है।
बिहारशरीफ के दीपनगर में नीरा चिलिंग प्वाइंट काम करना शुरू कर दिया है। बुधवार को डीएम डॉक्टर त्यागरान ने इसका विधिवत उद्घाटन किया। इस मौके पर नालंदा के जिलाधिकारी ने कहा कि अब ताड़ी बेचना और पीना दोनों अपराध है। लोग इससे दूर रहें और नीरा को अपनाएं। नीरा का उपयोग और व्यवसाय दोनों ही फायदेमंद है। यह बहुत ही पौष्टिक पदार्थ है और सभी लोगों को इसका प्रयोग करना चाहिए।
आपको बता दें कि दीपनगर नीरा चिलिंग प्वाइंट की क्षमता 500 लीटर प्रतिदिन की है। इसके अलावा सिलाव और रहुई में 500-500 लीटर क्षमता वाली नीरा चिलिंग प्वाइंट काम करने लगा है। जिले में अब तक 51 नीरा सेलिंग प्वाइंट काम कर रहा है। डीएम ने डीपीएम जीविका और उत्पाद अधीक्षक से ये सुनिश्चित करने को कहा है कि जिले में कहीं भी ताड़ी की बिक्री नहीं हो। नीरा का उत्पादन एवं उसके विक्रय को प्रोत्साहित करने के लिए कहा गया है। डीएम ने कहा कि इससे कुपोषण दूर होगा। यह रोग प्रतिरोधक है। नीरा के व्यवसाय से जुड़े लोगों की आर्थिक समृद्धि भी बढ़ेगी।