नीतीश-तेजस्वी में नजदीकी, लेकिन RCP सिंह ने क्यों बनाई दूरी.. जानिए अंदर की बात

जेडीयू की इफ्तार पार्टी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव शामिल हुए। लेकिन जेडीयू के कद्दावर नेता और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह इफ्तार पार्टी में शामिल नहीं हुए। इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सरकारी आवास पर दी गई इफ्तार पार्टी में भी आरसीपी सिंह ने हिस्सा नहीं लिया था।

ऐसे में सवाल ये उठता है कि
क्या जेडीयू में ऑल इज वेल नहीं है?
क्या केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह नाराज हैं ?
क्या जेडीयू एक साथ बीजेपी और आरजेडी दोनों को साध रही है ?
क्या आरजेडी को साधने की जिम्मेदारी नीतीश कुमार के पास है ?
क्या बीजेपी को साधकर रखने की जिम्मेदारी आरसीपी सिंह के पास है?
क्या ये सब जेडीयू की रणनीति का हिस्सा है?

पिछले एक महीने में बिहार की सियासत में काफी कुछ बदला है। बीजेपी मुकेश सहनी को पटखनी देकर बिहार की राजनीति में शमशेर बनने की कोशिश कर रही थी। लेकिन बोचहां उपचुनाव में मिली हार ने प्रदेश बीजेपी के रणनीतिकारों को हासिए पर खड़ा कर दिया है। जिस बीजेपी में नीतीश कुमार को हटाकर अपना मुख्यमंत्री बनाने की मांग उठ रही थी। अब वे चुप हैं । आखिर बिहार में चल क्या रहा है ?

दरअसल, पिछले एक हफ्ते में बिहार राजनीति ने तेजी से करवट ली है।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू परिवार के बीच दूरियां मिटीं और नजदीकी बढ़ी है । हफ्ते में दूसरी बार नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव मिले हैं।

इसकी शुरुआत नीतीश कुमार की ओर से हुई । जब 22 अप्रैल को राबड़ी आवास पर इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था। इफ्तार की दावत में हिस्सा लेने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने आवास से पैदल ही राबड़ी आवास पहुंचे। वे पांच साल बाद लालू यादव के घर गए थे । जहां वे एक ही सोफे पर तेजप्रताप यादव के साथ बैठे। बगल के सोफे पर राबड़ी देवी बैठीं थी। मीसा भारती और तेजस्वी यादव भी बारी बारी से मुख्यमंत्री से बातें कर रहे थे।

तस्वीरें बता रही थी कि गिले शिकवे मिटे हैं और दूरियां घटी है। इसके बाद चर्चा का दौरा शुरू हुआ। आरजेडी की ओर से भी दावा किया गया कि जल्द ही बिहार में सत्ता का परिवर्तन होना है। यहां पर बता दें कि नीतीश कुमार ने जब मुख्यमंत्री आवास पर इफ्तार पार्टी दी थी तो उसमें आरजेडी नेता हिस्सा नहीं लिए थे।

नीतीश तेजस्वी की मुलाकात से बीजेपी भी सकते में थी। क्योंकि नीतीश को समझना असंभव नहीं नामुमकिन है। अगले ही दिन बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले और देश के गृहमंत्री अमित शाह बिहार दौरे पर आए। आरा में बाबू वीर कुंवर सिंह जयंती के मौके पर बीजेपी ने शक्ति प्रदर्शन किया था। राष्ट्रीय ध्वज फहराने का विश्व कीर्तिमान स्थापित किया । जिसके मुख्य अतिथि गृहमंत्री अमित शाह थे । कहा जा रहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसके लिए निमंत्रण नहीं मिला है । लेकिन नीतीश कुमार ने सारे कयासों को विराम देते हुए हवाई अड्डा पहुंच गए। जहां गृहमंत्री का स्वागत किया । इतना ही नहीं संजय जायसवाल के घर भी गृहमंत्री से मिलने मुख्यमंत्री पहुंचे। यहां भी दोनों एक ही सोफे पर बैठे थे । लेकिन सोफे पर दूरियां थोड़ी ज्यादा थी।

कहने का मतलब है कि उतनी नजदीकि नहीं थी जितनी राबड़ी देवी के इफ्तार पार्टी में तेजस्वी के साथ थी। अमित शाह से नीतीश कुमार की मुलाकात के बाद बीजेपी के नेता कहने लगे की आरजेडी सपना देखना छोड़ दे ।

इसके बाद बारी जेडीयू की इफ्तार पार्टी की थी। गुरुवार को जेडीयू ने पटना के हज हाउस में इफ्तार का आयोजन किया । जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुख्य अतिथि थे। इफ्तार पार्टी में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, पूर्व सीएम जीतनराम मांझी, तेजस्वी प्रसाद यादव, कांग्रेस के मदन मोहन झा और अजीत शर्मा सहित कई नेता शामिल हुए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद तेजस्वी यादव और उनके बड़े भाई तेजप्रताप यादव का स्वागत किया और इफ्तार के बाद गाड़ी तक छोड़े गए। तस्वीरें बता रही थी कि दूरी खत्म हो चुकी है । चाचा और भतीजे के बीच मनभेद खत्म हो चुका है अब बारी ‘मत’भेद यानि वोटों के अंतर को दूर करने की है ।

लेकिन इस पूरे प्रकरण में राजनीतिक विश्लेषकों की नज़र केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह पर टिकी रही। जो ना तो नीतीश की इफ्तार पार्टी में शामिल हुए। ना ही तेजस्वी के इफ्तार में गए और ना ही जेडीयू द्वारा आयोजित इफ्तार की दावत में ही हिस्सा लिया। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या आरसीपी सिंह नाराज हैं ?

दरअसल, आरसीपी सिंह के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद जेडीयू में राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी भूमिहार नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को दे दी गई। सूत्रों का कहना है कि ललन सिंह को इस बात का मलाल है कि वो आरसीपी सिंह की वजह से ही मोदी कैबिनेट में मंत्री नहीं बन पाए। ना 2014 में और ना हीं 2019 में । ऐसे में आरपीसी और ललन सिंह के बीच खुद नीतीश कुमार फंस गए । क्योंकि दोनों उनके बेहद करीबी हैं।

इन सबके बीच नीतीश कुमार की नज़र 2024 के लोकसभा चुनाव पर है । क्योंकि नीतीश कुमार को पता है कि विधानसभा चुनाव में जिस तरह उनकी पार्टी का खराब प्रदर्शन रहा वैसे में 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी 2019 के मुताबिक सीट देने में आनाकानी करेगी । ऐसे में नीतीश कुमार का लालू परिवार के प्रति प्रेम उसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है ताकि बीजेपी पर दबाव बरकरार रखा जाए।

वहीं, आरपीसी सिंह खुद को बीजेपी के करीब बताने के लिए कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं । वे जब भी पूजा पाठ करते हैं तब वे पूजा पाठ की तस्वीरें सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करते हैं ताकि वे अपना चेहरा हिंदुत्ववादी साबित कर सकें। वे पीएम मोदी के प्रति भी अपनी भक्ति दिखाते हैं । बीजेपी सांसदों और मंत्रियों को जन्मदिन की बधाई देना नहीं भूलते हैं । ऐसे में वे जेडीयू का बीजेपी चेहरा हैं जो बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ संबंधों को बनाए रख रहे हैं । ऐसे माना जा रहा है कि नीतीश आरसीपी अलग-अलग नहीं बल्कि एक रणनीति का हिस्सा हैं । जिनकी नजर 2024 लोकसभा चुनाव पर है ।

( ये लेखक की अपना विचार है.. इसे नालंदा लाइव का कोई संबंध नहीं है )

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