चैती छठ महापर्व की शुरुआत, बड़गांव में छठ का क्या है महात्य जानिए

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लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की आज से शुरुआत हो गई है। नालंदा का बड़गांव स्थित सूर्य मंदिर भगवान भास्कर की उपासना का प्रमुख केंद्र रहा है। यहां चैत्र और कार्तिक महीने में छठ पर बड़ी संख्या में व्रती आते हैं। सूर्य पुराण में चर्चा है कि युद्ध के लिए राजगीर आए भगवान कृष्ण ने भी बड़गांव में भगवान सूर्य की आराधना की थी। यह भी मान्यता है कि यहां स्थित सूर्य तालाब में स्नान करसे से कुष्ठ रोग भी दूर हो जाता है।

तालाब के पानी से बनाया जाता है प्रसाद
बड़गांव स्थित सूर्य तालाब का निर्माण राजा शाम्ब ने कराया था। तालाब में स्नान करने के बाद सूर्य मंदिर में पूजा करने से कुष्ठ से पीड़ित लोग ठीक हो जाते हैं। इसके साथ ही तालाब के पानी से छठ व्रत करने आने वाले श्रद्धालु लोहंडा का प्रसाद बनाते हैं। ग्रामीण भी इसी तालाब के पानी से छठ का प्रसाद बनाते हैं। साथ ही इसे ग्रहण करते हैं।

राजा शाम्ब को हुआ था कुष्ठ रोग
पुजारी माला पांडे ने बताया कि महर्षि दुर्वासा भगवान श्री कृष्ण से मिलने द्वारका गए थे। उस समय भगवान श्री कृष्ण रुक्मणी के साथ विहार कर रहे थे। इसी दौरान अचानक किसी बात पर भगवान श्री कृष्ण के पौत्र राजा साम्ब को हंसी आ गई। उनकी हंसी को महर्षि दुर्वासा ने अपना उपहास समझा। फिर राजा साम्ब को कुष्ट होने का श्राप दे दिया। इसके बाद श्री कृष्ण ने पौत्र को कुष्ठ रोग निवारण के लिए सूर्य की उपासना के साथ सूर्य राशि की खोज करने की सलाह दी थी।

49 दिनों तक राजा शाम्ब ने की थी पूजा
मान्यताओं के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण के आदेश पर राजा शाम्ब सूर्य राशि की खोज में निकल पड़े। रास्ते में उन्हें प्यास लगी। इसके बाद सेवक को पानी लाने का आदेश दिया। घना जंगल होने के कारण पानी दूर-दूर तक नहीं मिला। एक जगह गड्ढे में पानी मिला, वो भी गंदा था। सेवक ने उस गड्ढे का पानी लाकर राजा को दिया। राजा ने पहले पानी से हाथ-पैर धोया। इसके बाद उस पानी से प्यास बुझाई। पानी पीते ही उनके शरीर में परिवर्तन महसूस होने लगा। इसके बाद वहीं रहकर पानी का सेवन करते रहे। लगातार 49 दिनों तक सूर्य की उपासना की। इसके बाद उन्हें श्राप से मुक्ति मिली।

तालाब की खुदाई में मिली थी प्रतिमाएं
तालाब की खुदाई के दौरान भगवान सूर्य, कल्प विष्णु, सरस्वती, लक्ष्मी, आदित्य माता जिन्हें छठी मैया की प्रतिमा मिली है। साथ ही नवग्रह देवता की भी मूर्तियां निकली थी। सूर्य पुराण के मुताबिक राजा साम्ब ने दादा श्रीकृष्ण की सलाह पर तालाब के पास मंदिर बनवा कर स्थापित किया था। जिसे बड़गांव का सूर्य मंदिर कहा जाता है। यह दुनिया के 12 अर्कों में भी शामिल है। वैदिक काल में भी बड़गांव सूर्य उपासना का प्रमुख केंद्र हुआ करता था।

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