बिहार में नई शराबबंदी लागू हो गई है । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में राज्य कैबिनेट की बैठक में बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद (संशोधन) अधिनियम 2022 के तहत बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद (संशोधन) नियमावली 2022 के प्रारूप को मंजूरी दी.
शराबबंदी के नियम में क्या है
नये नियमों की मंजूरी में अब कोई व्यक्ति पहली बार शराब पीते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे दो से पांच हजार रुपये तक जुर्माना लेकर छोड़ दिया जायेगा. अगर अभियुक्त पुलिस के साथ सहयोग नहीं कर रहा है या जुर्माना नहीं देता है, तो उसे 30 दिनों का जेल दिया जायेगा.
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दूसरी बार पकड़ाने के नियम
अगर कोई व्यक्ति शराब पीते हुए दूसरी बार पकड़ा जाता है, तो जुर्माना न लेकर उसे अनिवार्य रूप से एक साल का जेल होगा. अपर मुख्य सचिव ने कहा कि नयी नियमावली से कार्यपालिका और न्यायपालिका के कार्य बोझ में कमी आने के साथ-साथ शराब के आपूर्तिकर्ताओं और तस्करों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा. साथ ही ऐसे लोगों पर त्वरित दंडात्मक कार्रवाई की जा सकेगी.
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द्वितीय श्रेणी के मजिस्ट्रेट करेंगे सुनवाई
पुलिस अब किसी को शराब पीते पकड़ती है, तो उसकी सुनवाई ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की जगह द्वितीय श्रेणी के मजिस्ट्रेट करेंगे. कैबिनेट विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने बताया कि पटना हाइकोर्ट से अनुरोध किया गया है कि वह द्वितीय श्रेणी के मजिस्ट्रेट को सुनवाई की शक्ति प्रदान करे.
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शराब के साथ गाड़ी के पकड़े जाने पर
नई नियमावली में शराब के साथ गाड़ी के पकड़े जाने पर बीमा राशि का 50% जुर्माना लेकर उसे छोड़ दिया जायेगा. साथ ही अब बरामद शराब का सैंपल रख कर शेष को मौके पर ही नष्ट किया जा सकेगा. इसके लिए कोर्ट या किसी से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी.
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विधानमंडल से पास हो चुका है संशोधन कानून
सरकार ने कुछ दिनों पहले ही विधान मंडल से शराबबंदी कानून में संशोधन पास कराया था. कानून में संशोधन कर इसे थोड़ा नरम किया गया है. जमानत के प्रावधान को भी बदला गया है. साथ ही नये संशोधन के तहत यह फैसला लिया गया कि पहली दफा शराब पीने वालों को सरकारी मजिस्ट्रेट के पास पेश कर जुर्माना लेकर छोड़ दिया जायेगा.
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दूसरी बार पकड़े जाने पर नहीं मिलेगी कोई राहत
वहीं, अगर पहली दफे के बाद कोई दूसरी दफे पकड़ा जाता है, तो उसे जेल जाना होगा औऱ उसके लिए दस साल की सजा का प्रावधान होगा. नीतीश सरकार के इस फैसले से जहां जेलों में शराब मामले में गिरफ्तार कैदियों की संख्या में कमी आयेगी, वहीं अदालतों में जमानत लेने के लिए फरियादियों की भीड़ भी कम होगी.
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सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने भी बिहार सरकार की इस बात को लेकर आलोचना की थी कि शराबबंदी कानून के कारण अदालतों में मुकदमों का बोझ बढ़ गया है जबकि इस कानून को बनाने से पहले सरकार ने अदालतों में ठोस आधारभूत संरचनाओं का विकास नहीं किया है.